दिव्य अद्भुत नजारा
कुदरत महिमा अद्भुत न्यारी,
मानव कर कमल कुशल कर्तबगारी...
वृक्ष सुमित भवन अक्ष सवारी,
भानू कुंदन रूप विस्तार अदाकारी...
बिन पलक झपकाये अंबर निहारी...
धरा अलौकिक विभूषित अलंकारी....
दिव्य अद्भुत नजारा कारागिरी..
कवी विरेंद्र भाव रचित कविता हरीभरी...
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✍कवी -विरेंद्र रत्ने
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